Poetic translation of Ishadinopanishad

पनिषदों में ही उस आत्म तत्व का चिंतन हुआ है जो इस सृष्टि का मूल कारण है भूमा की ध्रुवीय सत्ता का एक अटल लक्ष्य जो मानव का गंतव्य स्थल है वहाँ उपनिषद् हमें ज्ञान व कर्म् मार्ग से ले जाते हैं आध्यात्मिक चिंता शाश्वत चिंता है , समकालीन व सामयिक नहीं वरन सामायिक समाधान उपनिषदों का कथ्य विषय है . अतः ये केवल काव्य , भाव , उपदेश या सिद्धांत न होकर जीवन की सूक्तियाँ बन गई हैं जो उपनिषदों की महिमा , महत्ता , पवित्रता तथा आर्षता को ध्वनित करती हैं.

उपनिषदों का काव्यात्मक और गेय स्वरूप अनंता का कृपा साध्य प्रसाद हैं और प्रसाद अणु या कण भर भी धन्य हैं मेरी धन्यता का पार नहीं जो अंजुरी भर कृपा प्रसाद पाया ..

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