ईहातीत
क्षणों की अनुभूति अनुभव गम्य होती है . यह आत्मा जिसमें हर क्षण कुछ ज्ञान
पर्याय प्रगट हो रहे हैं , यह हर क्षण कुछ जान रहा है और उसे ज्ञान के आकार
में परिणित कर रहा है . जब यह पांच भूत को भोगता है तो उसमे व्यक्त होता है
प्रगट होता है . रूपायित होता है,प्रतिभासित होता है ,फिर स्वयं में लीन हो
जाता है .बाहर कुछ रहता नहीं है .
इन कविताओं में सत्ता के अस्ति ,अव्यय ,अव्यक्त ,अन्तः
मुक्त स्वरूप को साक्षात करने का प्रयास किया है . इनमें कहीं यदि कोई
दिव्य अनुभूति है तो वह ईश्वेर की कृपा है , दोष सारे मेरे हैं . ये कविताये
अंतरात्मा की प्यास के अव्यक्त अनुभवों से परिपूर्ण है.
डॉ. कीर्ति द्वारा रचित ईहातीत क्षण का आनंद
लेने के लिए यहां क्लिक करें।